दिल्ली के ऑक्सीजन ऑडिट के लिए गठित कमिटी ने यह बात मानी है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली ने अपनी ऑक्सीजन ज़रूरत को बढ़ा-चढ़ा कर बताया जिससे दूसरे राज्यों की ऑक्सीजन आपूर्ति पर बुरा असर पड़ सकता था। कमिटी के मुताबिक दिल्ली की तरफ से 25 अप्रैल से 10 मई के बीच ऑक्सीजन की जो मांग रखी गई वह वास्तविक आवश्यकता से 4 गुना तक अधिक हो सकती है।
बेड कैपेसिटी के आधार पर की गई गणना के मुताबिक दिल्ली को सिर्फ 289 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की ज़रूरत थी। लेकिन राज्य में 1140 मीट्रिक टन तक की ज़रूरत बताई गई जो लगभग 4 गुना अधिक है।
फिलहाल कमिटी की रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल नहीं हुई है। 30 जून को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई है। इससे पहले हुई सुनवाई में कोर्ट सिर्फ बेड कैपेसिटी के हिसाब से ऑक्सीजन की मांग के आकलन के तरीके को अव्यवहारिक बता चुका है। कोर्ट ने इस तरीके में बदलाव का सुझाव दिया था।
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